बलरामपुर।मुख्यमन्त्री बनने के बाद प्रथम बार रविवार को योगी आदित्यनाथ पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी बाजपेयी की राजनीतिक जन्मभूमि बलरामपुर जिले मे अपने कदम रखा,उस समय कार्यकर्ता से लेकर आम जनमानस मे भारी उत्साह दिखाई पड़ रहा था। अपने जीवन के 80 बसन्त बिता कर उम्र की ढलान पर खड़ी एक बुजर्ग महिला अपने मुख्यमंत्री के बलरामपुर आने की सूचना पर देवी पाटन मन्दिर में मिलने पहुची थी। उसे उम्मीद थी कि गरीबो के मसीहा कहे जाने वाले मुख्यमंत्री उसकी फरियाद सुनकर मदद जरूर करेगे। लेकिन इस बुजर्ग महिला की सारी उम्मीदे दम तोड़ गयी।उसकी फरियाद पर किसी ने ध्यान नही दिया और मुख्यमंत्री अपने कार्यकर्ताओ से मिलकर चले गए ।
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गरीबी और बेबसी की मार से टूट चुकी ये अकेली महिला नही है जो सीएम के पास अपनी फरियाद लेकर रविवार को तुलसीपुर के देवी पाटन मन्दिर पहुची थी।बल्कि बड़ी तादाद में ऐसे फरियादी थे जो ढेर सारी उम्मीदे लगाकर सीएम योगी से मिलने पहुचे थे । लेकिन न तो बीजेपी के नेताओ ने और न ही प्रशासन के लोगो ने इन फरियादियो पर ध्यान दिया,अलबत्ता बीजेपी नेताओ और युवा वाहिनी के कार्यकताओ में मुख्यमंत्री से मिलने की होड़ लगी थी । इस चिलचिलाती गर्मी में सैकड़ो की संख्या में महिलाये पुरुष और आशा बहुए घण्टो खड़ी मुख्यमंत्री का इन्तेजार करती रही लेकिन मुलाक़ात नही हो सकी ।
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मुख्यमंत्री से मिलने को लेकर कई फरियादी गिड़गिड़ाते रहे लेकिन उन्हें मिलने नही दिया गया ।गर्मी में खड़ी कई फरियादी महिलाएओ का गुस्सा भी फूटा,लेकिन सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मी उन्हें आश्वासन पर आश्वासन देते रहे । फरियाद लेकर पहुची महिलाए और आशा बहूओ ने सीएम की मौजूदगी में नारेबाजी भी की ।सुरक्षा के मद्देनजर मन्दिर को अभेद किले में बदल दिया गया और मुख्यमंत्री के आने से पहले मन्दिर में दर्शन करने वालो को भी रोक दिया गया जिससे श्राघलु घण्टो बाहर बैठे प्रतीक्षा करते रहे ।आखिर जब एक योगी फरियादी की फरियाद नही सुन सका तो फिर बन्द गाड़ी और आधुनिक सुख सुविधाओ से लैस माननीय से फरियाद की उम्मीद कैसे की जा सकती है।बहरहाल आकर जाने वाले चले गये बचे तो बस लकीर पीटने वाले ।
रिपोर्ट-फरीद आरज़ू
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