मध्य प्रदेश में एक दलित महिला डिप्टी कलेक्टर नौकरी से इस्तीफा मंजूर करवाने के लिए न्याय यात्रा पर निकल पड़ी है। छतरपुर की डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे तीन महीने पहले ही लिखित त्याग पत्र शासन को भेज चुकी हैं, लेकिन अभी तक शासन ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया है। इस मुद्दे पर कई बार मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव को पत्र लिखे जाने के बाद भी उनका त्याग पत्र स्वीकार नहीं किया गया।
इसी साल जून में डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने अपने पद से त्याग पत्र प्रमुख सचिव राजस्व विभाग को भेजा था। दरअसल मामला यह है कि निशा बांगरे ने अपने विभाग से बैतूल जिले के आमला स्थित अपने मकान के गृहप्रवेश और सर्वधर्म सम्मेलन में शामिल होने के लिए छुट्टी मांगी थी, लेकिन विभाग ने छुट्टी देने से मना कर दिया। छुट्टी नहीं मिलने की वजह से निशा बांगरे ने इस्तीफा दे दिया। लेकिन वह इस्तीफा सरकार ने मंजूर नहीं किया जिसके विरुद्ध बांगरे ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। त्याग पत्र मंजूर करवाने एवं हक अधिकारों की बात करते हुए हाथ में संविधान की किताब लिए आमला से भोपाल तक पैदल ही न्याय यात्रा शुरू कर दी है ।
मीडिया से बातचीत में निशा ने कहा कि वह 9 अक्टूबर को पैदल चलते हुए भोपाल पहुँचेगी। यहाँ आम्बेडकर चौक पर डॉ. बीआर आम्बेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण कर वह मुख्यमंत्री आवास जाएंगी। संविधान में सभी को स्वतंत्रता एवं जीने का अधिकार है। मैं अपने पद से इस्तीफा दे चुकी हूं सरकार उसे मंजूर करे। नौकरी के दौरान मुझे अपने ही मकान के गृहप्रवेश में जाने की अनुमति नहीं दी गई। यह मेरे अधिकारों का हनन था। मेरी भावना आहत हुई, इसलिए इस्तीफा दिया।
डिप्टी कलेक्टर की न्याय यात्रा में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के समर्थक मौजूद हैं। वे बैतूल जिले के आमला से 335 किलोमीटर की पदयात्रा कर भोपाल पहुंचेगी। उन्होंने इस्तीफा देने के बाद विधानसभा चुनाव लड़ने की बात भी कही थी। बताया जा रहा कि वे आमला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। पदयात्रा के दौरान कांग्रेसी उनका स्वागत भी कर रहे हैं। इसलिए यह भी माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कैंडिडेट हो सकती हैं।
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