मोदी के कार्यक्रमों में शामिल बसों का 22 करोड़ बकाया
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मोदी के कार्यक्रमों में शामिल बसों का 22 करोड़ बकाया

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देश के प्रधानमंत्री के कार्यक्रमो में भीड़ इक्कठा करने हेतु जीएसआरटीसी से लगी बसों का 22 करोड़ रुपया बकाया है। गुजरात विधानसभा में कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी द्वारा उठाए गए एक सवाल के जवाब में ये आंकड़े सामने आए हैं। आंकड़ों से यह भी पता चला है कि जहां 2020-21 में लोगों को उन सरकारी कार्यक्रमों में लाने के लिए केवल 122 बसों का इस्तेमाल किया गया था किन्तु 2022-23 में यह संख्या बढ़कर 31,211 हो गई। उपरोक्त कार्यक्रमो में मोदी या गुजरात के मुख्यमंत्री शामिल हुए थे।

वर्ष 2020-21 में कोविड-19 लॉकडाउन और उसके बाद समारोहों पर प्रतिबंधों के कारण कम कार्यक्रम आयोजित हुए होंगे। इन तीन सालों की अवधि के दौरान विजय रूपाणी और भूपेंद्र पटेल गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं। गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम (जीएसआरटीसी) के अनुसार पिछले तीन वर्षों में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों के लिए कुल 34,868 बसें आवंटित की गई हैं। सरकार ने 2020-21 के दौरान बसों के किराये के रूप में 14.27 लाख रुपये और 2021-22 के लिए 8.21 करोड़ रुपये का भुगतान किया, लेकिन 74.43 लाख रुपये बकाया रह गए। वर्ष 2022-23 में सरकार ने बसों के उपयोग के लिए 86 करोड़ रुपये का भुगतान किया लेकिन 21.41 करोड़ रुपये अभी भी बकाया हैं। कुल मिलाकर 22.16 करोड़ रुपये का बकाया है। परिवहन विभाग के अनुसार संबंधित विभागों के साथ बकाया वसूली की कार्यवाही जारी है।

गुजरात कांग्रेस के ही एक अन्य विधायक कांति खराड़ी ने पूछा था कि पिछले तीन वर्षों (2020-21 से 2022-23) में राज्य सरकार के कार्यक्रमों (सिर्फ वे ही नहीं जिनमें पीएम या सीएम शामिल हैं) में लोगों को ले जाने के लिए कितनी बसें किराए पर ली गईं और कितना किराया बकाया था। इसके जवाब में कहा गया है कि 2020-21 में 21,964 बसें, 2021-22 में 6,898 और 2022-23 में 38,868 बसें सरकारी कार्यक्रमों के लिए सौंपी गई थीं। गुजरात सरकार ने उस तीन साल की अवधि के दौरान किराये पर ली गईं बसों के लिए जीएसआरटीसी को 112 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जबकि 41.01 करोड़ रुपये बकाया हैं।

खराड़ी ने पत्रकारों  को बताया कि सरकार ने ‘किराया चुकाए बिना राजनीतिक कार्यक्रमों पर लोगों का पैसा बर्बाद किया , जो लोगों के साथ धोखा है। राज्य परिवहन की बसें ग्रामीण लोगों के परिवहन के लिए हैं, न कि सरकारी कार्यक्रमों के लिए भीड़ इकट्ठा करने के लिए जब सरकार बड़े पैमाने पर बसें किराये पर लेती है तो ग्रामीण परिवहन प्रभावित होता है।

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