अभिषेक पटेल
बिहार में आज पिछड़े समुदाय में खुशी का लहर दौड़ रहा है , सामंतवादियों से लगातार मुकाबले के बाद जेल की शिकंजों के बीच १७ वर्ष से कैद खाकी द बिहार चैप्टर वाले अशोक महतो की आज रिहाई हो गई। आज भागलपुर जेल के बाहर ठीक वैसा ही नजारा दिखा जैसा कभी बाहुबली सांसद रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन की रिहाई के बाद उन्हें साथ ले जाने सैंकड़ों गाड़ियों पर बड़ी संख्या में उनके समर्थक पहुंचते थे। जेल से लगायत रास्तो में जगह – जगह स्वागत की तैयारी हुई तो हजारो गाड़ियों के काफिले के साथ जेल पहुंचे पिछड़े समुदाय खास कर कुर्मी विरादरी के लोगो ने अशोक महतो के जेल से बाहर निकलते ही फूल मालाओं से लाद दिया। नारेबाजी की गयी फिर अशोक महतो को लेकर उनके समर्थक विक्रमशिला सेतु के रास्ते निकले। सड़क पर काफी देर तक जाम लगा रहा। अशोक महतो की रिहाई के बाद बिहार के पिछड़े समाज के लोगो में उल्लास है। पिछड़े समाज के लोग नवादा जिले के वारसलीगंज के बढ़ौना निवासी अशोक महतो को पिछडो का मसीहा मानते है।
बताया जाता है कि शेखपुरा जिले के सबसे चर्चित आपराधिक घटनाओं में शामिल तत्कालीन विधायक रणधीर कुमार सोनी पर हुए जानलेवा बम हमले में स्थानीय अदालत ने पूर्व के आपराधिक सरगना के रूप में चर्चित अशोक महतो उर्फ साधु जी को निर्दोष करार देते हुए रिहा करने का आदेश दिया है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता संजीव कुमार सिंहा ने बताया गुरुवार को हुई सुनवाई में अदालत ने अशोक महतो के साथ इसी मामले में नालंदा जिला के पलटपुर गांव निवासी सोनू कुमार को भी निर्दोष बताते हुए रिहा कर दिया। यह चर्चित घटना 25 अगस्त 2012 की देर शाम हुई थी। शेखपुरा के तत्कालीन विधायक रणधीर कुमार सोनी अपनी जायलो कार से शेखपुरा से तीन किमी दूर अपने गांव मुरारपुर जा रहे थे, तभी गांव से बाहर टाटी नदी के पुल के पास भूमि के नीचे प्लांट किया हुआ टिफिन बम फट गया था, जिसमें विधायक तो बाल-बाल बच गए, मगर उनकी जायलो कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। इस मामले में शुरू में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी हुई थी, बाद में पुलिस ने अपनी जांच में अशोक महतो गिरोह के लोगों का हाथ बताते हुए आरोप पत्र दायर किया था। चार लोग पहले ही निर्दोष करार दिए जा चुके हैं।
इस मामले में अभियोजन पक्ष के अपर लोक अभियोजक रामचरित्र प्रसाद ने बताया इस मामले में पुलिस ने आरोप पत्र के साथ 19 गवाहों के नाम समर्पित किया था। इसमें मात्र 10 गवाह अदालत में उपस्थित हुए और उन में भी सात गवाह होस्टाइल हो गए। समूचे मामले की सुनवाई करते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मधु अग्रवाल ने साक्ष्य के अभाव में अशोक महतो उर्फ साधु जी तथा सोनू कुमार को निर्दोष बताते हुए रिहा करने का आदेश दिया। इसी मामले में चार लोग पहले भी रिहा हो चुके हैं। अब यह मामला स्थानीय स्तर पर बंद हो गया है।
नवादा जेल ब्रेक कांड, शेखपुरा के मनीपुर नरसंहार, विधायक पर बम हमला सहित इसी तरह के कई मामलों में जेल में बंद अशोक महतो पूरे 17 वर्ष के बाद जेल से बाहर है । स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता तथा राजद नेता मुनेश्वर महतो के अनुसार अशोक महतो पर अब कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं है। शेखपुरा के तत्कालीन एसपी अमित लोढ़ा ने नौ जुलाई 2006 को झारखंड के देवघर स्थित सत्संग कालोनी से अशोक महतो को गिरफ्तार किया था। तब से यह जेल में थे । गुरुवार को टाटी बम कांड में फैसला सुनाने से पहले विशेष सुरक्षा में अशोक महतो को भागलपुर केंद्रीय कारागार से शेखपुरा लाया गया और अदालत में फैसला सुनाने के बाद वापस भागलपुर भेज दिया गया था ।
अशोक महतो की रिहाई हेतु CM नीतीश कुमार से हुई थी मांग :
खाकी द बिहार चैप्टर’ वेव सीरीज में जिस ‘महतो गैंग’ का जिक्र है, उस बारे में दावा किया जाता है कि असल में वो शेखपुरा का अशोक महतो गिरोह के ऊपर ही फिल्मांकन किया गया है। अशोक महतो पिछले 17 साल से जेल में बंद थे । बिहार के कुख्यात आनंद मोहन की रिहाई के बाद ही अशोक महतो से हमदर्दी रखने वालों की भी उम्मीदें बढ़ गई थी । पिछड़े समाज के राजनेता से लेकर कुर्मी महासंघ द्वारा अशोक महतो को जेल से बाहर निकालने की कोशिश करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार से भी रिहाई की मांग की गई थी ।
बिहार डायरीज: द ट्रू स्टोरी ऑफ हाउ बिहार्स मोस्ट डेंजरस क्रिमिनल वाज कॉट :
इसी महतो गिरोह पर शेखपुरा के तत्कालीन एसपी अमित लोढ़ा ने 2018 में ‘बिहार डायरीज: द ट्रू स्टोरी ऑफ हाउ बिहार्स मोस्ट डेंजरस क्रिमिनल वाज कॉट’ नाम से किताब लिखी थी। जिसमें विस्तार से महतो गैंग के बारे में जानकारी है। इसी किताब पर बेस्ड ‘खाकी द बिहार चैप्टर’ वेव सीरीज बनाई गई।
‘खाकी द बिहार चैप्टर’ वेव सीरीज :
खाकी द बिहार चैप्टर’ वेव सीरीज के बारे में अशोक महतो के खासमखास पिंटू महतो ने कहा था कि उसमें एक प्रतिशत भी सच्चाई नहीं दिखाई गई। अमित लोढ़ा अपना नाम और पैसा कमाने के लिए ऐसा किए हैं। केवल अगड़ी-पिछड़ी करने के लिए उन्होंने ये फिल्म बनाई है। वेव सीरीज में चंदन महतो को पिंटू महतो बताए जाने पर उन्होंने कहा था कि ऐसी बात नहीं है। पूरा मनगढ़ंत है। शेखपुरा और नवादा में सर्वे करके पता किया जा सकता है। अशोक महतो के काम के बारे में शेखपुरा, वारसलीगंज और बरबीघा में सभी को सबकुछ पता है। केवल ससबहना गांव गढ़ नहीं था। साल 2000 में हर बैकवर्ड गांव की पुकार थी। उनलोगों ने बहुत मदद की थी।
शेखपुरा के सांसद रहे राजो सिंह हत्याकांड पर पिंटू महतो ने खुलकर मीडिया से बात किया था। उन्होंने कहा कि वेव सीरीज केवल पैसा कमाने के लिए बनाया गया है। सब गलत दिखाया है। राजो बाबू की हत्या में रंधीर कुमार सोनी को आरोपी बनाया गया था। दूसरे लोगों का नाम भी शामिल था। बाद में रंधीर कुमार सोनी का नाम एफआईआर से काट दिया गया। अशोक महतो और पिंटू महतो का नाम जोड़ दिया गया। तब अमित लोढ़ा शेखपुरा में क्राइम बढ़ाना चाहते थे। खुद के बारे में पिंटू ने कहा कि उसका दल्लू मोड़ पर पटेल खाद भंडार नाम से दुकान था। इसके बाद क्राइम में एंट्री हुई। साल 2000 में ऐसे हालात बन गए थे।
अशोक महतो गैंग पर आरोप :
खूखार अपराधी बताए जा रहे अशोक महतो पर एक गिरोह चलाने का आरोप है , जो बिहार में सक्रिय था , जिसका नेतृत्व अशोक महतो ने किया जिसमे पिंटू महतो को मुख्य सदस्य बताया जाता है। अशोक महतो के नेतृत्व में चल रहा गिरोह 2005 में उस वक्त चर्चा में आया जब मौजूदा संसद सदस्य राजो सिंह की हत्या हुई जिसमे इस गैंग गिरोह को जिम्मेदार माना गया था। इस हत्याकांड के बाद अशोक महतो को कैद कर लिया गया था आरोप है कि 2002 में वह नवादा जेल से भाग निकलें ,जेल से भागने के दौरान पिंटू महतो ने तीन पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी। इस गिरोह के बारे में कहा जाता है गिरोह के नेता या तो कुर्मी या कोइरी जाति से थे , और उन्हें नवादा और शेखपुरा क्षेत्रों में पिछड़ी जातियों का समर्थन प्राप्त था। अशोक महतो गिरोह शोषक उच्च जाति भूमिहारों के खिलाफ प्रतिशोध की लड़ाई लड़ रहा था । 1990 के दशक के अंत में बड़ी संख्या में अगड़ी जाति के लोगों की हत्या के लिए महतो और उसका गिरोह जिम्मेदार बताया जाता है।
अशोक महतो गिरोह के नेतृत्वकर्ता अशोक महतो और विधानसभा सदस्यअरुणा देवी के पति अखिलेश सिंह के मध्य की प्रतिद्वंद्विता ने बिहार के नवादा, नालंदा और शेखपुरा जिलों के 100 से अधिक गांवों को प्रभावित कर रखा था। 1998 से 2006 के बीच नवादा जिले में इस प्रतिद्वंद्विता एवं भूमिहारों और कोइरियों के बीच के जातिगत संघर्ष के कारण 200 से अधिक लोगों की जान जाने की घटना सामने आई थी। इन दोनों समूहों के बीच का संघर्ष उपरोक्त जिलों में पत्थर तोड़ने और बालू उठाने की व्यवस्था पर सत्ता तय करने के लिए था। 2003 में अशोक महतो गिरोह पर अखिलेश सिंह की पत्नी (विधायक)अरुणा देवी, उनके पिता और छह साल के बालक के साथ पांच अन्य लोगों की कथित तौर पर हत्या कर देने के आरोप लगे थे । यह माना जाता है कि भूतकाल में अखिलेश सिंह गिरोह द्वारा कथित तौर पर मारे गए सात मजदूरों की मौत के प्रतिशोध में ये हत्याएँ की गई थी। आरोप रहा कि सन 2000 में इस गिरोह ने एक विधायक के घर पर हमला किया था और वहाँ 12 से अधिक लोगों को मार डाला।
बताया जाता है कि अशोक महतो और अखिलेश सिंह की यह प्रतिद्वंद्विता धीरे-धीरे वर्चस्व स्थापित करने के लिए बन गई और इन दोनों गिरोहों के समर्थन में जातियों का एक संघटन भी सक्रिय हो गया था। 2005 के चुनाव के दौरान अखिलेश सिंह की पत्नी अरुणा देवी अपने क्षेत्र की विधान सभा के लिए लोक जनशक्ति पार्टी की उम्मीदवार बनी थी। उसी वर्ष अखिलेश सिंह ने अपने समुदाय और भूमिहारों के सम्मान की रक्षा की बात उठाई। आरोप है की यहीं से अशोक महतो और उनके मध्य का विरोध तीव्र हो गया। अशोक महतो अपने क्षेत्र में बड़ी संख्या में उच्च जाति के लोगों की हत्या के लिए भी जिम्मेदार माने जाते है।
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