CM योगी की पुलिस ने ले ली किसान की जान - न्यूज़ अटैक इंडिया
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CM योगी की पुलिस ने ले ली किसान की जान

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“भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के प्रदेश प्रभारी (पु )आंसू चौधरी ने बरेली प्रशासन से तत्काल दोषी पुलिस कर्मियों के विरूद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज करने एवं पुलिस पिटाई में मृत किसान के परिजनों को 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने की मांग किया “

उत्तर प्रदेश के बरेली से एक दर्दनाक खबर आई है जहा एक किसान को रक्षक की बजाय भक्षक बनी पुलिस ने  पीट-पीटकर अधमरी हालत में सड़क पर छोड़ दिया जिसकी ईलाज के दौरान मौत हो गई।  खेत की रखवाली कर लौट रहे किसान संतोष शर्मा को जुआरी बताकर पुलिसकर्मियों ने उठा ल‍िया था।

प्राप्त जानकारी के अनुसार आलमपुर जाफराबाद गांव में किसान संतोष शर्मा बुधवार की रात आठ बजे खेत से वापस घर लौट रहे थे। रास्ते में जुआ खेल रहे कुछ युवकों को पकड़ने के लिए सरदारनगर चौकी की टीम ने दबिश दी थी किन्तु जुआरी भाग गए, मगर सिपाहियों ने घर जा रहे संतोष को पकड़ लिया। उन्हें भी जुआरी बताते हुए साथियों के नाम बताने को कहा, इस पर संतोष ने एतराज जताया क‍ि बेवजह जुआ खेलने का आरोप न लगाएं। इतना सुनते ही पुलिसकर्मी व एंबुलेंस चालक हमलावर हो गए। उक्त सभी ने संतोष को डंडों, रायफल की बटों से पीटा। संतोष की चीख-पुकार सुनकर अन्य ग्रामीण आए तो पुलिसकर्मी उन्हें अधमरा छोड़कर उसी एंबुलेंस से भाग गए।

संतोष के भाई कृष्ण कुमार शर्मा के अनुसार रात में ही उन्हें शहर के नारायण अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों का कहना था कि सिर और पेट में गंभीर चोट लगने से हालत गंभीर है। आरोप है क‍ि शुक्रवार सुबह को संतोष की मौत हो गई थी, लेक‍िन पुलिस के दबाव में अस्पताल प्रबंधन इस सूचना को दबाए रहा। दोपहर को सभी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के बाद बताया गया क‍ि संतोष की मौत हो चुकी है। कृष्ण कुमार ने सभी आरोपियों के खि‍लाफ तहरीर दी, जिस पर अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज करने का आश्वासन दिया है। थाना प्रभारी राजेश्वरी व अन्य पुलिसकर्मी अस्पताल पहुंचे तो कृष्ण कुमार व अन्य ने नाराजगी जताई। पूरे घटनाक्रम में दारोगा नैपाल सिंह के भी शामिल होने की बात सामने आई है।

इस मामले में चौकी इंचार्ज टिंकू कुमार, हेड कांस्टेबल पुष्पेंद्र राणा, मनोज कुमार, कांस्टेबल अंकित कुमार, दीपक कुमार, सत्यजीत सिंह व मोहित कुमार को निलंबित कर दिया गया। एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान का कहना है कि पुलिसकर्मी बिना सूचना दबिश पर गए थे। किसान से हुई घटना की जानकारी भी नहीं दी थी, इसलिए सभी को निलंबित किया गया है। दूसरी ओर मृतक के परिजनों ने सभी पुलिसकर्मियों और विजय कुमार के खि‍लाफ हत्या की तहरीर दी है। विजय पुलिस का मुखबिर बताया जा रहा। दबिश के दौरान दूर से टीम की पहचान न हो, इसलिए पुलिसकर्मी एंबुलेंस में सवार होकर गए थे।

इस मामले में भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के प्रदेश प्रभारी पू० आंसू चौधरी ने कहा की बरेली प्रशासन तत्काल दोषी पुलिस कर्मियों के विरूद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज करे एवं पुलिस पिटाई में मृत किसान के परिजनों को 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद दे , यदि प्रसासन ने समय रहते कार्यवाही नहीं किया तो भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक मजबूरन आंदोलन पर विवस होगा।

आज भी मुख्यधारा के भारतीय मीडिया का एक बड़ा हिस्सा केवल विशेष व समृद्ध वर्ग के लोगों की चिंताओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व कर रहा है. इस संविदा में हाशिए पर खड़े समाज जिसमें देश के पिछड़े ,अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाएं, अल्पसंख्यक, किसान, मजदूर शामिल हैं, उनके हितों एवं संघर्षों को आसानी से नजरअंदाज कर दिया जाता है. हाशिए पर खड़े इस समाज की आवाज बनकर उनका साथ देने का न्यूज़ अटैक एक प्रयास है. उम्मीद है आप सभी का सहयोग मिलेगा.
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