किसान आंदोलन से उठी आवाज नहीं देंगे एक इंच जमीन - न्यूज़ अटैक इंडिया
Search

किसान आंदोलन से उठी आवाज नहीं देंगे एक इंच जमीन

न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack

आज़मगढ़ ज़िले के खिरियाबाग में ठीक एक साल पहले मंदुरी एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए ज़मीन अधिग्रहण के ख़िलाफ़ किसानों ने आंदोलन शुरू किया था। किसान पीछे हटने को तैयार नहीं है।उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के खिरियाबाग में ठीक एक बरस पहले मंदुरी एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए ज़मीन अधिग्रहण के ख़िलाफ़ किसानों ने आंदोलन शुरू किया था। उस समय सर्दी का मौसम शुरू होने वाला था। किसानों की भारी भीड़ खिरियाबाग में जुटनी शुरू हुई। उस समय लोगों को यह उम्मीद नहीं थी कि आज़मगढ़ के किसान इतने लंबे समय तक अपनी खेती-किसानी छोड़कर धरना स्थल पर डटे रहेंगे। कड़ाके की ठंड और दहकती गर्मी के बावजूद आज़मगढ़ के इलाके के किसान खिरियाबाग में डटे रहे। किसी भी कीमत पर ज़मीन नहीं छोड़ने के लिए लगातार आवाज़ बुलंद करते रहे।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने आज़मगढ़ से तक़रीबन 19.4 किमी दूर जमुआ हरिराम और उसके आसपास के सात ग्राम पंचायतों की ज़मीन व किसानों के मकान को मंदुरी हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए अधिग्रहीत करने का ऐलान किया था। इसके लिए दो फेज़ में करीब 670 एकड़ ज़मीन अधिग्रहीत करने की योजना योजना बनाई गई थी। पहले फेज़ में मधुवन, गदनपुर, हिच्छन पट्टी, पाती, सउरा, बलदेव मंदुरी, कुआं देवचंद पट्टी, कंधरापुर आदि गांवों में 360 एकड़ ज़मीन का सर्वे शुरू किया गया। किसानों ने आपा तब खोया जब सगड़ी तहसील के उप जिलाधिकारी राजीव रतन सिंह की अगुवाई में मूल्यांकन टीम 13 अक्टूबर 2022 को आधी रात जमुआ हरिराम पहुंची। उनके साथ दो ट्रकों में भरकर पीएसी के जवान भी पहुंचे और ज़मीन कब्जाने वाले तहसील के कर्मचारी भी। ‘बगैर नोटिस’ दिए सगड़ी के एसडीएम और तहसीलदार भारी फोर्स के साथ आधी रात में सर्वे शुरू किया तो ग्रामीणों ने विरोध किया।

खिरियाबाग में किसान आंदोलन की मुखर आवाज़ जमुआ हरिराम गांव की सुनीता बीते दिनों को याद करते हुए कहती हैं, किसानों को डराने करने के लिए एसडीएम और उनके साथ आए कर्मचारियों ने पहले धमकी दी, फिर गाली-गलौज और मारपीट शुरू कर दी। महिलाओं और बच्चों के साथ अभद्रता की गई। इस पर ग्रामीणों के विरोध के स्वर तेज़ हुए तो पुलिस और पीएसी के जवानों ने लोगों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटना शुरू कर दिया। हमें और सावित्री को बुरी तरह पीटा गया। रात करीब दो बजे शौच करने निकले कपिल यादव और उनके पोते संजीव के साथ भी यही व्यवहार किया गया। पुलिस की पिटाई से कपिल के हाथ की हड्डी टूट गई। ज़मीनें ही हमारी ज़िंदगी है, वहां एयरपोर्ट तो बन जाएगा लेकिन हज़ारों लोग बेघर हो जाएंगे। हमारी ज़मीनें चली जाएंगी तो हम क्या करेंगे? कहां रहेंगे? सरकार से न तो हम मुक़दमा लड़ नहीं पाएंग। हमारी आज भी यही मांग है कि ज़मीन लेने से पहले सरकार हमारे पुनर्वास का इंतज़ाम करे।

एक हाथ में अपने ढाई बरस के बेटे अंश को पकड़े हुए आरती शर्मा दूसरे हाथ में नारे लिखी हुई तख्ती लिए हर रोज़ खिरियाबाग पहुंचती हैं। तख्ती पर लिखा होता है, हम न अपनी ज़मीन देंगे, और न ही अपनी जान देंगे। यह तख्ती पिछले साल इनके पति दीपक शर्मा (32 साल) ने बनाई थी। आंदोलन के दौरान हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई थी। नारा लिखी तख्ती को थामे हुए आरती कहती हैं, यह पति की यादों के साथ हमारे संघर्ष को ताकत देता है। इसी ताकत से हम पिछले एक बरस से अपनी ज़मीन बचाने के लिए सरकार से लड़ रहे हैं।

भीषण गर्मी और कड़ाके की ठंड के बावजूद पिछले एक साल के धरना-प्रदर्शन के बारे में आरती से पूछा गया तो उन्होंने कहा, भूमि अधिग्रहण के बनाए गए गलत नियम-क़ानूनों की वजह से हम मरने की कगार पर पहुंच गए हैं। जब तक सांसें चलेंगी, संघर्ष जारी रखेंगे। ज़मीन-जायदाद के लिए संघर्ष करते हुए मरना, घुट-घुटकर जीने से कम खतरनाक है।

किसान नेता रामनयन सिंह कहते हैं, खिरियाबाग में आज़मगढ़ के प्रस्तावित मुंदरी हवाई अड्डे के विस्तार की योजना के विरोध में हज़ारों के हुजूम ने बीते 26 जनवरी 2023 को जब तिरंगा यात्रा निकाली थी तो इसके लिए बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया था तो वहीं महिलाओं ने अपना काम। दिहाड़ी मज़दूर, जिन्होंने महीनों से कमाई नहीं की थी, जिन किसानों को अपनी फसलों की निराई स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा था, सभी के एक हाथ में तिरंगा था तो दूसरे हाथ की भिंची हुई मुट्ठियां। जुबां पर ‘जय हिंद’ का नारा था तो ज़मीन को बचाने की चिंता भी। खिरियाबाग आंदोलन में शामिल होने वाली महिलाओं और किसानों का जज़्बा एक बरस पहले जैसा था, वैसा आज भी है। इस आंदोलन की कमान महिलाओं के हाथ में है। धरना-प्रदर्शन में हर रोज़ इनकी तादाद पुरुषों से ज़्यादा होती है।

खिरियाबाग आंदोलन के एक साल पूरा होने पर आयोजित सभा में शामिल नीलम और फूलमती ने कहा कि हमारे पास थोड़ी-सी ज़मीन बची है। इसी ज़मीन से हमारा परिवार पलता है। कमाई का और कोई ज़रिया नहीं है। आठ गांवों के लोग चिंता में डूबे हैं, खासतौर पर महिलाएं बहुत ज़्यादा परेशान हैं और वह घुटन महसूस कर रही हैं। आखिर हम अपने बाल-बच्चों को लेकर कहां जाएंगे ?  क्या बच्चें और बूढ़ों को मरने के लिए सड़क पर छोड़ दें ?

सरकार की नीतियों से नाराज़ रितिका, सुशीला और नरोत्तम यादव कहते हैं कि मंदुरी एयपोर्ट के लिए हम अपनी एक इंच ज़मीन सरकार को नहीं देंगे, चाहे हमारी जान चली जाए। हम उस आदेश की वापसी का इंतज़ार कर रहे हैं जिसे हम पर जबरिया लादा गया था। लगता है कि डबल इंजन की सरकार विकास नहीं, कारपोरेट घरानों को ज़मीन का कारोबार कराना चाहती है। भूमि अधिग्रहण के लिए सरकारी आदेश रद्द होने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

आज़मगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक राजेश आज़ाद कहते हैं कि इस आंदोलन ने हमें सिखा दिया है कि आपको कोई भी कानून बिना संवाद और विचार-विमर्श के पारित नहीं करना चाहिए। खासतौर पर तब जब मुद्दा खाद्य सामग्री से जुड़ा हो। किसानों की आजीविका ज़मीन पर टिकी हुई है। खिरियाबाग आंदोलन हमारे संघर्ष का आंदोलन है। इसका हल सरकार को ही तलाशना होगा। खिरियाबाग आंदोलन के एक साल पूरा होने के बाद इतना स्पष्ट हो गया है कि अगर किसानों ने अपना विरोध प्रदर्शन आगे जारी रखने का मन बना लिया तो कोई इस बात पर शक नहीं करेगा कि वे अगले एक साल या उससे भी ज़्यादा समय तक अपना विरोध प्रदर्शन जारी रख पाएंगे। मुझे लगता है कि बीजेपी सरकार तभी झुकेगी, जब आगामी लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बजेगी।

आज़मगढ़ के मंदुरी एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण के विरोध में चल रहे धरना-प्रदर्शन के एक साल पूरे होने पर 13 अक्टूबर 2023 को खिरियाबाग में महापंचायत आयोजित की गई। इस दौरान आंदोलनकारी किसानों के नारों से धरना स्थल गूंजता रहा। सभा स्थल पर मौजूद संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय समन्वय समिति के सदस्य डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि खिरियाबाग के आंदोलनकारियों ने दिल्ली के किसान आंदोलन की तरह इतिहास रचा है। उपदेश देना आसान है, लेकिन लोकतांत्रिक शांतिपूर्ण तरीके से लंबे समय तक आंदोलन को चलाना बेहद कठिन है। बीजेपी सरकार किसानों के धैर्य का इम्तिहान ले रही है। अन्नदाता अपने वजूद की लड़ाई लड़ने से तनिक भी पीछे नहीं हैं। मांग पूरी होने तक संघर्ष जारी रहेगा और किसान हुंकार भरते रहेंगे।

किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश नारायण, क्रांतिकारी किसान यूनियन के महासचिव गुरमीत सिंह महमा और किसान मज़दूर परिषद के अध्यक्ष चौधरी राजेंद्र सिंह ने आंदोनकारियों में जोश भरते हुए कहा कि प्रशासन किसानों के साथ छल कर रहा है। प्रशासन के साथ किसानों की वार्ता छह मर्तबा विफल हो चुकी है। प्रशासनिक अफसर सिर्फ मौखिक आदेश दे रहे हैं। कोई यह लिखकर देने के लिए तैयार नहीं है कि हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए किसानों की ज़मीनें भविष्य में अधिग्रहीत नहीं की जाएंगी। मंदुरी हवाई अड्डे से आज तक एक भी विमान सेवा शुरू नहीं हो सकी। ऐसे में इस हवाई अड्डे के विस्तार के लिए आम गरीबों को ज़मीन और मकान से बेदखल कर भूमि अधिग्रहण करने की कार्रवाई करने का औचित्य क्या है? किसानों की बिना इजाजत और सहमति लिए हवाई अड्डा के विस्तारीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण करना कानून का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है। किसानों का ये आंदोलन एक बड़े संघर्ष की शक्ल ले चुका है। किसान अपनी मांगें पूरी होने के बाद ही आंदोलन खत्म करेंगे।

क्रांतिकारी किसान यूनियन, अलीगढ़ के प्रभारी शशिकांत, किसान संग्राम समिति के अध्यक्ष सत्यदेव पाल और ऑल इंडिया किसान फेडरेशन के अध्यक्ष बचाउ राम ने कहा, आज़मगढ़ में मंदुरी हवाई अड्डे के विस्तार के लिए जिन गांवों में भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू की गई है वो इलाका तमसा नदी के बेसिन इलाके में आता है। यहां धान, गेहूं के अलावा आलू और उच्च गुणवत्ता वाली दालों की खेती भी होती है। इस इलाके में खेती-किसानी करने वाले लोगों में 90 फीसदी दलित और अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) के लोग हैं। इनमें करीब 85 फीसदी लोग ऐसे हैं जिनके पास सिर्फ आठ-दस बिस्वा ज़मीनें हैं। भूमि अधिग्रहण की ज़द में आने वाले आधे लोग भूमिहीन हैं जो एक-दो बिस्वा ज़मीन पर किसी तरह से गुज़ारा कर रहे हैं, जिनके घरों तक पहुंचने के लिए न तो रास्ता है, न ही नाला-खड़ंजा। करीब पांच औसत परिवार के लोगों की सालाना कमाई 9,500 से ज़्यादा नहीं है। सरकार किसानों की ज़मीन छीन लेगी तो उनके पास बचेगा क्या?

महापंचायत में खेत मज़दूर किसान संग्राम समिति के क्रांति नारायण सिंह, भाकियू के आज़मगढ़ मंडल प्रभारी मिथिलेश यादव, किसान सभा के जिलाध्यक्ष वेद प्रकाश उपाध्याय, जनवादी किसान सभा के प्रदेश सचिव जयप्रकाश समेत बड़ी संख्या में किसान नेता मौजूद थे। किसान महापंचयत की अध्यक्षता टेकई और संचालन रामशब्द निषाद ने किया।

विजय विनीत (वरिष्ठ पत्रकार )

न्यूज़ अटैक हाशिए पर खड़े समाज की आवाज बनने का एक प्रयास है. हमारी पत्रकारिता को सरकार और कॉरपोरेट दबाव से मुक्त रखने के लिए हमें आर्थिक सहयोग की अपेक्षा है। .
न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack

न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack

Share This.

Related posts

Leave a Comment