IPS प्रभाकर चौधरी : 13 साल में 21 ट्रांसफर,अब बनेगें डीआईजी - न्यूज़ अटैक इंडिया
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IPS प्रभाकर चौधरी : 13 साल में 21 ट्रांसफर,अब बनेगें डीआईजी

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अब ऐसे जांबाज पुलिस अफसर का सेंट्रल डेपुटेशन में सीबीआई में जाना तय है। सीबीआई की तरफ से 4 बार रिलीव करने का रिमाइंडर दिया जा चुका है लेकिन सरकार ने रिलीव नहीं किया।

लखनऊ। पुलिस महकमे में तमाम अधिकारियो पर भ्रस्ट्राचार के आरोप लगे है , कुछ पर जातिवादी होकर एक तरफ़ा कार्यवाही के मुद्दे भी उछले है किन्तु इन्ही के बीच एक आईपीएस अफसर की चर्चा सुर्खिया बटोरती रही मीडिया से लगायत जनता के बीच इस आईपीएस अफसर की एक अलग पहचान होती है , जहां भी कार्यरत रहे नागरिको को पूरी उम्मीद रही कि न्याय मिलेगा यही कारण रहा कि अपराधियों , भ्रष्ट्राचारियों के लिए सख्त रहे सफेदपोशो की आँख के किरकिरी बने आईपीएस अफसर का लगातार ट्रांसफर होता रहा।

कौन है आईपीएस प्रभाकर चौधरी :

आईपीएस प्रभाकर चौधरी उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव के साधारण परिवार से आते हैं। वह अम्बेडकर नगर जिले के मेढी सुलेम के पुरवा महमूदपुर के मूलनिवासी हैं। उनके पिता श्री पारस नाथ चौधरी एक साधारण किसान हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आईपीएस प्रभाकर चौधरी की 5 बहने हैं, जिनमें चार बड़ी हैं जबकि एक छोटी बहन है। सभी बहनों की शादी भी बेहद सादगी के साथ साधारण परिवार में ही हुई है।

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आईपीएस प्रभाकर चौधरी हमेशा से ही पढ़ाई में औव्वल रहते हुए कड़ी मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटे। इसी वजह से आज उन्होंने यह मुक़ाम हासिल किया है। प्रभाकर चौधरी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री हासिल की है। इसके बाद उन्होंने एएलबी की पढ़ाई की है। एलएलबी के बाद उन्होंने सिविल सर्विसेस में आने का निर्णय लिया और अपने काबिलियत और लगन की बदौलत पहले ही प्रयास में UPSC परीक्षा क्लियर कर लिया। आईपीएस प्रभाकर चौधरी अपनी ईमानदार छवि और सादगी को लेकर बेहद चर्चा में रहते है। उनके 13 साल के कैरियर में 21 बार तबादला हो चुका है. उन्होंने मेरठ में बतौर एसपी सबसे ज़्यादा एक साल का वक़्त बिताया। इसके अलावा वह कहीं भी ज्यादा समय तक टिक नहीं पाए।

आईपीएस प्रभाकर चौधरी शासन द्वारा आईपीएस को प्रद्दत सुख-सुविधाएं और चकाचौंध से काफी दूर हैं। वह बंगला, कार, नौकर-चाकर का इस्तेमाल करने की बजाए सादगी भरा जीवन जीने में यक़ीन रखते हैं। उनमे गांव से जुड़े होने जैसी सादगी स्पस्ट देखी जा सकती है।

जब पीठ पर बैग लटकाए पहुंचे एसपी आवास :

नौजवान दिखने में मासूम साधारण लिबास। एकदम स्टूडेंट टाइप अंदाज में एक युवक पीठ पर बैग लटकाए  साधारण बस एव ऑटो रिक्शा से यात्रा कर कानपुर देहात पुलिस कप्तान  के बंगले में दाखिल होता है। पुलिस कप्तान के स्टेनों के बारे में पूछने पर दरबान  सिपाही हाथ से संबंधित कमरे की तरफ जाने का इशारा कर देता है। उक्त कमरे में दाखिल होकर उक्त यूवक ने स्टेनो से कहा ..जरा एसपी का सीयूजी नंबर दीजिए। यह सुनते ही  स्टेनो के माथे पर सिलवटें पड़ गईं और बोले आप कौन होते हो सीयूजी सिम लेने वाले। इस पर युवक ने हंसकर कहा-मैं प्रभाकर चौधरी। इतना सुनते ही स्टेनो के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं और झट से हाथ ऊपर कर सैल्यूट मारते हुए कहा..ससससररररर… सॉरी सर। हमें अंदाजा न था कि आप इतने सादे अंदाज में चले आएंगे चार्ज लेने। हम तो सोचे थे कि आपके आने की सूचना पर हम गाड़ी भेजकर  रिसीव करेंगे। आपने तो सर सरप्राइज कर दिया।

इस पर उक्त नौजवान आईपीएस अफसर ने कहा-हमारा यही अंदाज है। ऐसे साधारण व्यक्तित्व के धनी है आईपीएस प्रभाकर चौधरी जिन्होंने कानपूर देहात एसपी का पद संभालने के अपने अनोखे अंदाज से सबको चौंका दिया था ।

CBI में जाना तय

आईपीएस प्रभाकर चौधरी का सेंट्रल डेपुटेशन में सीबीआई में जाना तय है। सीबीआई की तरफ से 4 बार रिलीव करने का रिमाइंडर दिया जा चुका है लेकिन सरकार ने रिलीव नहीं किया. अब माना जा रहा है कि सरकार रिलीव कर देगी और वह जल्द सीबीआई जॉइन करेंगे।

राजनीति कार्यप्रणाली पर पूरी तरीके से हावी

जब आईपीएस प्रभाकर चौधरी का सरकार ने बरेली से ट्रांसफर किया था तो नागरिको में उबाल आ गया था , सरकार के प्रति नाराजगी इस कदर बरेली में छा गया जिसका किसी को एहसास नहीं था । बरेली के अरविंदर सिंह बेदी ने लिखा था कि “पुलिस का इकबाल बुलंद रहे, जय हो, एसएसपी बरेली प्रभाकर चौधरी जी को धन्यवाद, उन्होंने बरेली को दंगे से बचाया”. सिविलाइजाइड ग्रुप पर लिखा है, प्रभाकर चौधरी शानदार आईपीएस अफसर हैं, लॉ एंड ऑर्डर के आगे किसी की नहीं सुनते और ना मानते हैं.आज बरेली में उत्पतियों को सबक सिखाया, तो ऊपर वाले नाराज हो गए. कुर्सी छीन ली है.उनकी इस पोस्ट पर अरविंद यादव,.असलम रजा, मोहम्मद अफसर अली, सलीम खान आदि ने आईपीएस को सैल्यूट किया है तो वहीं मोहम्मद शकील खान ने लिखा है,यही होता है इस देश में राजनीति कार्यप्रणाली पर पूरी तरीके से हावी है,तो वहीं दिनेश कुमार ने लिखा है कि पुलिस काम न करें, तो सरकार की सुने,और काम करे, तब भी सरकार की सुने, सैल्यूट सर।

 तबादलों से स्थान बदल सकते हैं, इरादे नहीं :

जितेंद्र वर्मा, और राहुल कश्यप मांझी ने फेसबुक पर लिखा था कि आईपीएस प्रभाकर चौधरी का तबादला, 10 साल में 21 वा तबादला। हेमंत सिंह लिखते हैं ईमानदार की कोई जगह नहीं। पवन किशोर गुप्ता ने लिखा है कि ईमानदार को तबादला ही मिलता है, मेडल नहीं। शरीफ हुसैन ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि पारदर्शिता से काम करने वाले एसएसपी का तबादला। तबादलों से स्थान बदल सकते हैं, इरादे नहीं. ऋषि पाल पहाड़िया ने लिखा है कि बरेली में कांवड़ में फायरिंग किसने की ?, क्या कांवड़िए हथियार लेकर चलते हैं, एक वीडियो यही कह रहा है, जिसके चलते आईपीएस का तबादला हो गया। इसी तरह की पोस्ट बरेली में ट्रांसफर के बाद हजारो नागरिको ने किया था।

IPS प्रभाकर ने मनवाया अपने काम का लोहा 

झांसी जीआरपी में एसपी के बंगले के अवैध कब्जे का मामला हो, सोनभद्र का उम्भा कांड हो, सीतापुर में वकीलों का उपद्रव हो, मथुरा में स्थानीय नेता से गतिरोध या फिर अब बरेली में कावड़ियों के उपद्रव को रोकने की कोशिश, प्रभाकर चौधरी ने हमेशा जिले की कानून व्यवस्था से कोई समझौता नहीं किया।

वह फिर अपराधी हो या फिर कोई बड़ा सत्ताधारी दल का नेता, अपराधियों के लिए जीरो टॉलरेंस पर काम करने वाले प्रभाकर चौधरी की गिनती जनता की सुनवाई पर त्वरित कार्रवाई, अच्छा काम करने वाले पुलिसकर्मियों की हौसला अफजाई और पुलिस के साथ बदसुलूकी करने वालों को कानून की ताकत का एहसास कराने वाले अधिकारियों में गिने जाते रहे हैं।

आज भी मुख्यधारा के भारतीय मीडिया का एक बड़ा हिस्सा केवल विशेष व समृद्ध वर्ग के लोगों की चिंताओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व कर रहा है. इस संविदा में हाशिए पर खड़े समाज जिसमें देश के पिछड़े ,अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाएं, अल्पसंख्यक, किसान, मजदूर शामिल हैं, उनके हितों एवं संघर्षों को आसानी से नजरअंदाज कर दिया जाता है. हाशिए पर खड़े इस समाज की आवाज बनकर उनका साथ देने का न्यूज़ अटैक एक प्रयास है. उम्मीद है आप सभी का सहयोग मिलेगा.
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