महाराष्ट्र। मराठा आरक्षण के लिए चल रहे आंदोलन ने अचानक बीड जिले में हिंसक रूप ले लिया। मनोज जरांगे पाटील ने संदेह जताया कि इसके पीछे सत्ताधारियों का हाथ हो सकता हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हिंसा तुरंत नहीं रोकी गई तो मुझे अलग फैसला लेना पड़ेगा। मनोज जरांगे की भूख हड़ताल का सोमवार को छठा दिन था। भोजन के साथ-साथ पानी भी छोड़ देने के कारण जरांगे की हालत काफी खराब हो गई है। इस बीच माजलगांव के विधायक प्रकाश सोलंके द्वारा जरांगे के खिलाफ अपशब्दों के इस्तेमाल ने बीड जिले में मराठा प्रदर्शनकारियों की भावनाओं को भड़का दिया है। कई जगहों पर आगजनी और पथराव किया गया। इसी सिलसिले में पत्रकारों से बात करते हुए जरांगे ने आशंका जताई कि हिंसा भड़काने वाले सत्ताधारी दल के कार्यकर्ता हो सकते हैं। उन्होंने कहा चाहे आप सत्ताधारी दल के हों या नहीं, तुरंत अपनी भावनाओं पर काबू रखें और शांतिपूर्वक विरोध करें, अन्यथा मुझे अलग निर्णय लेना पड़ेगा।
उन्होंने कहा आरक्षण की लड़ाई अब निर्णायक दौर में पहुंच गई है और हम इसके लिए बेहद शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। इसलिए मनोज जरांगे ने अपील की है कि आगजनी और पथराव न करें। उन्होंने आशंका व्यक्त करते हुए कल कहा कि सत्ताधारी अपने ही कार्यकर्ताओं के हाथों घर जला रहे हैं और इसका आरोप मराठा प्रदर्शनकारियों पर लगा रहा है।
जरांगे की स्वास्थ्य और भी गड़बड़ :
अनशन के छठे दिन मनोज जरांगे की हालत बिगड़ गई है। उनके शरीर में पानी की मात्रा कम होने के कारण उनकी आवाज नहीं निकल रही है। पत्रकारों से बात करते वक्त भी उनकी सांसें फूल रही थीं। मराठा प्रदर्शनकारियों द्वारा उनसे बार-बार पानी पीने का अनुरोध किया जा रहा है। सोमवार दोपहर जब वह पत्रकारों से बात करने के लिए खड़े हुए तो कमजोरी के कारण गिर पड़े। उनकी हालत ज्यादा ही बिगड़ गई है, वहीं जरांगे ने चिकित्सा उपचार लेने से इनकार कर दिया।
बेनतीजा रही प्रशासन के साथ बैठक :
कलेक्टर श्रीकृष्णनाथ पांचाल और पुलिस अधीक्षक शैलेश बलकवड़े ने कल मनोज जरांगे पाटील से मुलाकात की और उन्हें सरकारी स्तर पर मराठा आरक्षण के लिए चल रहे घटनाक्रम की जानकारी दी। इस दौरान जरांगे ने स्पष्ट किया कि जब तक पूरे महाराष्ट्र के मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र नहीं मिल जाता, तब तक आंदोलन वापस नहीं लिया जाएगा। उन्होंने इस बात पर रोष व्यक्त किया कि मुख्यमंत्री के कहने के बावजूद प्रदर्शनकारियों पर से मुकदमे वापस नहीं लिए गए।
मुख्यमंत्री के प्रस्ताव को कर दिया खारिज
आरक्षण उपसमिति की बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि जिनके पास सबूत हैं उन्हें कल से कुनबी प्रमाण पत्र दिया जाएगा और उन्होंने मनोज जरांगे से भूख हड़ताल पर पुनर्विचार करने की अपील की। हालांकि, मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव को जरांगे ने खारिज कर दिया। सरकार को अनावश्यक विवाद बढ़ाकर महाराष्ट्र का माहौल खराब नहीं करना चाहिए।’ अगर सरकार ने मुझे मारने का फैसला कर ही लिया है तो मैं इसके लिए तैयार हूं, ऐसा जरांगे पाटील ने कहा। जरांगे ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री और समय मांग रहे हैं, लेकिन अब यह संभव नहीं है। स्थिति अभी भी सरकार के हाथ में है लेकिन हमारी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो तीसरे चरण का आंदोलन किया जाएगा तब आपके लिए बैठक करना भी मुश्किल हो जाएगा। कोई भी प्रतिनिधिमंडल सरकार से चर्चा के लिए नहीं जाएगा, ऐसा भी जरांगे पाटील ने स्पष्ट किया।
मुख्यमंत्री महोदय, गुंडों को करो कंट्रोल
मराठा आरक्षण के शांतिपूर्ण विरोध को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। मराठा शांत हैं, उन्हें परेशान मत करो। मनोज जरांगे ने स्पष्ट चेतावनी दी कि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री को तुरंत अपने गुंडों पर लगाम लगानी चाहिए, अन्यथा मराठाओं के रास्ते में आए तो मराठा उन्हें नहीं छोड़ेंगे। जरांगे ने यह भी कहा कि पुलिस मराठा प्रदर्शनकारियों को बिना वजह परेशान न करे, नहीं तो मैं मराठाओं की आग भड़का दूंगा और इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
मराठा आरक्षण को लेकर सरकार से लड़ रहे मनोज जरांगे पाटील को लेकर सरकार के दिमाग में क्या चल रहा है ? सरकार को मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए जरांगे पाटील ने मजबूर कर दिया है। लेकिन लगता है कि सरकार जरांगे पाटील को लेकर कोई साजिश रच रही है। कहीं जरांगे पाटील की हत्या की साजिश तो नहीं रची जा रही है? यह सवाल उठाते हुए शिवसेना नेता व सांसद विनायक राऊत ने केंद्र सरकार से मांग की कि लोकसभा का विशेष सत्र बुलाकर मराठा आरक्षण समस्या का निवारण किया जाए। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मराठा आरक्षण के लिए तुरंत लोकसभा सत्र बुलाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कपटी गद्दार सरकार जरांगे-पाटील के जीवन के साथ खेल रही है, जबकि जरांगे पाटील ने सरकार से सकारात्मक चर्चा के लिए तैयारी दर्शाई है। लेकिन सरकार के दलालों ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया है। लोकसभा का आपातकालीन विशेष सत्र बुलाना चाहिए। उसमें मराठा और धनगर आरक्षण बिल को भी मंजूरी मिलनी चाहिए।
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