भोपाल। मध्य प्रदेश में चुनावी सरगर्मिया तेज हो चुकी है , भाजपा मध्यप्रदेश सरकार के कामो के तारीफों का पुल बांध राम राज्य की परिकल्पना को साकार होने का दिवा स्वपन दिखा कर पुनः सत्ता पर काबिज होने की फ़िराक में है किन्तु मध्यप्रदेश में आदिवासियों को बराबरी का सम्मान मिलने की बजाय आदिवासियों के खिलाफ सबसे अधिक आपराधिक घटनाएं दर्ज होती हैं,वही आदिवासियों की जमीनों पर प्रभावशाली लोगों के कब्जे हैं, जिन के मालिकाना हक़ हेतु आदिवासी को लगातार प्रशासन में बैठे अफसरों का चक्कर लगाना पड़ता हैं,जिसके बाद भी कार्रवाई नहीं हो पाता ।
ताजा मामला प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा क्षेत्र बुधनी का है जहां एक आदिवासी बुजुर्ग महिला को 15 साल बीत जाने के बाद भी उसको खुद की जमीन पर कब्जा नहीं मिला है। सीहोर जिले के बुधनी तहसील के अंतर्गत आने वाले होड़ा गांव की 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला अपनी जमीन को प्रभावशाली दबंगो के कब्जे से मुक्त कराने के लिए भटक रही है। आदिवासी सुमन बाई अपने परिवार के साथ होडा गाँव में रहती हैं। भूमिहीन होने के कारण सरकार ने वर्ष 2010-11 में उन्हें कृषि भूमि के लिए 1.272 हैक्टेयर जमीन का पट्टा उनके गांव होड़ा में ही दिया था। जिस कृषि भूमि का पट्टा क्रमांक 937923 है। खसरा नंबर 44ध्6 है। मगर अफसोस की बात यह है कि 70 वर्षीय सुमन बाई का परिवार और वह खुद आज तक उस जमीन पर कभी फसल नहीं उगा पाईं, कभी उस जमीन का फायदा नहीं ले पाई। सुमन बाई को सरकार से जब पट्टा मिला तो वह बेहद खुश थीं कि अब उनके परिवार का खेती करके गुजारा आराम से हो पायेगा, लेकिन पट्टा मिलने के बाद ही जमीन पर दबंगो कब्जा हो चुका था। उपरोक्त जमीन पर आज तक कब्जाधारी ही उस जमीन का उपयोग कर रहा है। महिला ने अधिकारियों के पास जाकर कई बार गुहार लगाई, लिखित प्रार्थना पत्र दिए, लेकिन प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी प्रशासन मूक दर्शक बना रहा ।बुजुर्ग महिला दो बार सीमांकन के लिए तहसीलदार के पास आवेदन कर चुकी हैं।
इस संबंध में प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन के माध्यम से भी शिकायत की गई, लेकिन उसका कोई परिणाम नहीं निकला न कोई कार्यवाही हुई। बुधनी के एसडीएम राधेश्याम बघेल के अनुसार पूर्व में शिकायत मिली थी कि एक आदिवासी महिला को पट्टे की जमीन पर कब्जा नहीं मिल रहा है। इस संबंध में राजस्व विभाग की टीम को भेज कर महिला की जमीन को चिन्हित किया था। महिला की शिकायत का निराकरण कर दिया गया था।
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