शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 को ठेंगा दिखाते निजी विद्यालय , किसान यूनियन छेड़ेगा जनांदोलन - न्यूज़ अटैक इंडिया
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शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 को ठेंगा दिखाते निजी विद्यालय , किसान यूनियन छेड़ेगा जनांदोलन

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भारत सरकार ने एक कानून बनाकर मौलिक अधिकार के रूप में छह से चौदह वर्ष के आयु समूह में सभी बच्‍चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया था। उक्त शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत निजी विद्यालयों में कुल छात्र संख्या में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को प्रवेश के माध्यम से निःशुल्क शिक्षा देने को बाध्य किया गया है किन्तु शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों को प्रदेश के लगभग 95 प्रतिशत निजी विद्यालयों द्वारा ठेंगा दिखाते हुए गरीब परिवार के बच्चो के शिक्षा की हकमारी कर उन्हें उनके अधिकारों से वंचित कर रखा गया है। शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 में वर्णित नियमो को ताक पर रख निजी शिक्षण संस्थान शिक्षा विभाग के अधिकारियो की मिली भगत से खुले आम संचालित हो रहे है। जिला प्रशासन भी मौन धारण करते हुए निजी शिक्षण संस्थानों को मनमानी करने की मौन स्वीकृत दे चूका है जिस कारण आज तक शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 का उलंघन कर रहे शिक्षण संस्थानों पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुई।

किसान मुद्दों पर वर्षो से संघर्ष कर रहे भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के प्रदेश प्रभारी पूर्वांचल आशु चौधरी ने कहा कि शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत 25 प्रतिशत गरीब बच्चों की शिक्षा निजी विद्यालयों में निःशुल्क की गई है, जिसका खर्चा स्वयं सरकार वहन करती है, तांकि गरीब बच्चे शिक्षा से वंचित ना रहे परंतु निजी विद्यालयों में इसके पीछे एक बहुत बड़ा खड्यंत्र हो रहा है। विद्यालयों द्वारा शासन को भेजी जाने वाली सूची में बड़े पैमाने पर भ्रस्ट्राचार का खेल चल रहा है। शिक्षा विभाग को विद्यालय प्रबंधन द्वारा भेजी गई सूची में गरीब बच्चों की जगह उनके सगे संबंधियों व रिश्तेदारों के बच्चो के नाम अंकित होते है जिन्हे निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र के रूप में दर्शाया जाता है। जिसकी उच्च स्तरीय जाँच हो जाय तो बड़े खड्यंत्र का पर्दफ़ाश तो होगा ही गरीब बच्चे भी शिक्षा से बंचित होने से बच सकेगे । शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 में दिए गए नियमों एवं प्रावधानों का निजी विद्यालय खुलेआम अवेहलना कर रहे है। निजी विद्यालयों में गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रावधानों के बावजूद भी मुहैया न हो पाना तो एक बड़ा मुद्दा होने के साथ ही इन विद्यालयों में प्रतिवर्ष मनमानी फीस बढ़ोतरी शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के नियमों के विपरीत एवं प्रावधानों का खुला उल्लंघन भी है। शिक्षा अधिकार अधिनियम में प्रावधानों का उलंघन करने पर विद्यालयों की मान्यता रद्द करने तक का उल्लेख है किन्तु शिक्षा विभाग के ढुलमुल रवैया के कारण निजी विद्यालय शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के विपरीत मनमाने तरीके से काम कर रहे है।

श्री चौधरी ने सरकार से मांग किया है कि निजी विद्यालयों में शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत जो भी निःशुल्क शिक्षा हेतु प्रवेश हुए हैं, उनके अभिभावकों के नाम दूरभाष नंबर सहित लिस्ट हर हाल में सार्वजनिक की जानी चाहिए ,इसके अलावा निजी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों का बेतनमान भी सुनिक्षित होना चाहिए । शिक्षा के इन गंभीर मुद्दे पर शासन को अविलम्ब आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राइट टू एजुकेशन के तहत गरीब बच्चों के प्रवेश को रोकने की साजिस के तहत तमाम निजी विद्यालय शिक्षा विभाग के अधिकारियो की मिली भगत से सरकारी पोर्टल पर अपने विद्यालयों को बंद तक होना दर्शा दिया है, जबकि अधिकारियों के संरक्षण में विद्यालय निर्वाधगति से संचालित हो रहा है।

श्री चौधरी ने कहा कि शिक्षा विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार व अभिभावकों से हो रही लूट का वह पर्दाफास करेंगे , शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 में वर्णित नियमो का सभी निजी विद्यालयों में कड़ाई से पालन होना चाहिए। अगर सरकार समय रहते जाँच करवाकर दोषियों को दण्डित नहीं करती है तो संगठन शिक्षा के मौलिक अधिकार से बंचित छात्रों के हित में जल्द ही आंदोलन करने हेतु सड़क पर उतरेगा। शिक्षा अधिकार अधिनियम का कड़ाई से पालन के लिए जल्द ही शिक्षा महकमे के आलाधिकारियों को एक ज्ञापन देते हुए शासन को भी पत्र भेजकर अवगत कराया जायेगा। प्रदेश प्रभारी आशू चौधरी ने बताया कि संगठन के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी हरिनाम सिंह वर्मा द्वारा हमें व प्रदेश अध्यक्ष अल्पसंख्यक मोर्चा खुर्शीद आलम को शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, हम सभी प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत मिलने वाले गरीबों के बच्चों को हक को दिलाने हेतु संघर्ष करेंगे ।

आज भी मुख्यधारा के भारतीय मीडिया का एक बड़ा हिस्सा केवल विशेष व समृद्ध वर्ग के लोगों की चिंताओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व कर रहा है. इस संविदा में हाशिए पर खड़े समाज जिसमें देश के पिछड़े ,अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाएं, अल्पसंख्यक, किसान, मजदूर शामिल हैं, उनके हितों एवं संघर्षों को आसानी से नजरअंदाज कर दिया जाता है. हाशिए पर खड़े इस समाज की आवाज बनकर उनका साथ देने का न्यूज़ अटैक एक प्रयास है. उम्मीद है आप सभी का सहयोग मिलेगा.
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