राहुल गांधी के किताब ने ले ली न्यूज़ 18 के एडिटर दयाशंकर मिश्र की नौकरी ! - न्यूज़ अटैक इंडिया
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राहुल गांधी के किताब ने ले ली न्यूज़ 18 के एडिटर दयाशंकर मिश्र की नौकरी !

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न्यूज़18 नेटवर्क हिंदी वेबसाइट के संपादक दयाशंकर मिश्रा ने अपने पद से इस्तीफा देकर न्यूज़18 प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दरअसल वरिष्ठ पत्रकार दयाशंकर मिश्रा ने हाल ही मैं ‘राहुल गांधी’ नामक किताब लिखी है। इस किताब में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ दुष्प्रचार सहित उनसे जुड़े अन्य विषयों पर लिखा गया था। दयाशंकर मिश्र ने न्यूज़ 18 पर आरोप लगाया है कि उन्हें किताब को वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। जिसके बाद दयाशंकर मिश्र ने अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया।

पत्रकार दयाशंकर मिश्र ने न्यूज़18 से इस्तीफा देने के बाद अपने एक्स हैंडल से लिखा, “पहले इस्तीफ़ा, फिर किताब : राहुल गांधी पर सच लिखना क‍ितनी मुश्‍किलें खड़ी करेगा, मुझे बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था। ऐसे समय जब सत्‍ताधीशों पर गाथा-पुराण ल‍िखने की होड़ लगी हो, मैंने सोचा था कि एक लोकनीत‍िक व‍िचारक की सोच, दृष्टि और दृढ़ता को संकल‍ित कर प्रस्‍तुत करना क‍िसी को क्‍यों परेशान करेगा? लेकिन मैं ग़लत साबित हुआ। ल‍िखना और व्‍यक्‍त करना हमारा काम है। लेकिन इसी के व‍िस्‍तार से अचानक कंपनी की धड़कनें बढ़ गईं। मेरे पास विकल्प था कि मैं किताब वापस ले लूं। नौकरी करता रहूं। चुप रहूं। लेकिन, मैंने किताब को चुना। जो हमारा बुनियादी काम है, उसको चुना। सच कहने को चुना। इसलिए, पहले इस्तीफ़ा, फिर किताब।

यह किताब असल में न्यूज़रूम के हर उस समझौते का प्रायश्चित है, ज‍िसने छापा नहीं, छ‍िपाया। इसमें राहुल गांधी के ख़िलाफ़ 2011 से शुरू हुए दुष्प्रचार की तथ्यात्मक कहानी और ठोस प्रतिवाद है। किस तरह से मीडिया ने लोकतंत्र में अपनी परंपरागत और गौरवशाली विपक्ष की भूमिका से पलटते हुए न केवल सत्ता के साथ जाना स्वीकार किया, बल्कि व‍िपक्ष यानी जनता की प्रतिनिधि आवाज़ को जनता से ही दूर करने, उसकी छवि को ध्वस्त करने की पेशागद्दारी की। न्यूज़रूम और दुष्‍प्रचारी IT सेल के अंतर को मीडिया ने मिटा दिया। यह किताब साम्प्रदायिकता, दुष्प्रचार और तानाशाही के ख‍िलाफ राहुल गांधी के संघर्ष का व‍िश्‍लेषण है।

संवैधानिक संस्थाओं पर केंद्र का क़ब्ज़ा, अन्ना हजारे के साथ मिलकर केजरीवाल की प्रोपेगेंडा राजनीति का चक्रव्यूह, पाठक इसमें आसानी से समझ सकते हैं। यह किताब हाल‍िया इतिहास में लोकतंत्र और संविधान पर हुए हमलों को सिलसिलेवार 11 अध्यायों में बताने का सहज प्रयास है…”,मिश्र ने एक्स पर लिखा।

दयाशंकर मिश्र के न्यूज़18 नेटवर्क पर गंभीर आरोप के बाद न्यूज़18 ने उनके आरोपों को निराधार और असत्य बताया है। न्यूज़18 ने अपने एक्स हैंडल से ट्वीट कर बयान जारी किया है। न्यूज़18 ने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर पोस्ट कर लिखा, “न्यूज़18 सभी कर्मचारियों के लिए नियम यह है कि उन्हें किताब लिखने या संगठन के बाहर किसी भी तरह से योगदान करने से पहले कंपनी से अनुमति लेनी होगी। यह सभी प्रतिष्ठित मीडिया फर्मों में मानक अभ्यास है। न्यूज18 समय-समय पर कर्मचारियों के ऐसे अनुरोधों को स्वीकार करता है. हमारी हिंदी वेबसाइट के संपादक दयाशंकर मिश्र ने अपनी पुस्तक के लिए न तो अनुमति ली, न ही मांगी, न ही पहले से बताया कि वह कोई पुस्तक लिख रहे हैं।

जब उन्होंने 9 नवंबर, 2023 को बताया कि वह एक किताब लिख रहे हैं, जो दिसंबर में प्रकाशित होगी, तो उन्हें कंपनी के इस आग्रह के बारे में बहुत स्पष्ट रूप से बताया गया कि वह नीति का पालन करें। तथ्य यह है कि उन्होंने अपनी पुस्तक गुप्त रूप से और कंपनी की नीति का उल्लंघन करते हुए लिखी, यह साबित करता है कि उनका हमेशा एक छिपा हुआ एजेंडा था, जो कि अपने और अपनी पुस्तक के लिए अधिकतम प्रचार पाने की उम्मीद में नाटकीय रूप से बाहर निकलना था।

सोशल मीडिया पर किताब की तस्वीरों से यह स्पष्ट है कि इस किताब को बनने में काफी समय लगा था। मिश्र ने बुधवार, 22 नवंबर, 2023 को दोपहर लगभग 2.30 बजे इस्तीफा दे दिया, और उसी शाम – जब वे नेटवर्क18 समूह में कार्यरत थे – उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट डाला, जिससे प्रतीत होता है कि उन्हें एक किताब लिखने के लिए निशाना बनाया गया था। सच तो यह है कि वह केवल अपनी पुस्तक को प्रचारित करने के गुप्त उद्देश्य से अपने पद का दुरुपयोग कर रहे थे। मिश्र ने अपने नियोक्ता को बदनाम किया है और अपने रोजगार की शर्तों का उल्लंघन किया है। News18 उनके और उन सभी लोगों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने का अधिकार सुरक्षित रखता है जो जानबूझकर उनका झूठ फैला रहे हैं”, न्यूज़18 ने अपने एक्स हैंडल से ट्वीट किया।

राहुल गांधी पर लिखी किताब के बाद हुए बवाल एवं नौकरी खोने वाले दयाशंकर मिश्र ने समर्थको को आभार जताते हुए कहा कि इस्तीफे के बाद अकेलेपन से बचाते हुए लड़ने का हौसला मिला ।

आज भी मुख्यधारा के भारतीय मीडिया का एक बड़ा हिस्सा केवल विशेष व समृद्ध वर्ग के लोगों की चिंताओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व कर रहा है. इस संविदा में हाशिए पर खड़े समाज जिसमें देश के पिछड़े ,अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाएं, अल्पसंख्यक, किसान, मजदूर शामिल हैं, उनके हितों एवं संघर्षों को आसानी से नजरअंदाज कर दिया जाता है. हाशिए पर खड़े इस समाज की आवाज बनकर उनका साथ देने का न्यूज़ अटैक एक प्रयास है. उम्मीद है आप सभी का सहयोग मिलेगा.
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