लखनऊ। प्रयागराज पुलिस ने विवादित धार्मिक टिप्पणी करने पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रम कुमार के खिलाफ जिला न्यायालय में अभियोग-पत्र दाखिल किया है। विश्व हिंदू परिषद, हिंदू जागरण मंच और बजरंग दल ने दो महीने पहले कर्नलगंज थाने में दलित प्रोफेसर डॉ. विक्रम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद में गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, जहां उन्हें फौरी तौर पर राहत भी मिल गई थी किन्तु अब माना जा रहा है कि डॉ. विक्रम कुमार को पुलिस कभी भी गिरफ्तार कर सकती है।
मीडिया खबरों के मुताबिक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रम कुमार ने 22 अक्टूबर 2023 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राम और कृष्ण पर टिप्पणी की थी। जिस टिप्पड़ी के विरुद्ध विहिप के जिला संयोजक शुभम ने तहरीर देकर कहा कि देवी-देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी किए जाने से लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। उनकी इस टिप्पणी से समाज में अराजकता फैल सकती है और आपसी सौहार्द्र बिगड़ सकता है। इससे इविवि की छवि भी समाज में धूमिल हो रही है। पुलिस ने इस मामले में सोशल साइट एक्स को ई-मेल भेजकर जानकारी मांगी। प्रोफेसर डॉ. विक्रम कुमार ने माना था कि एक्स पर मैसेज उन्होंने ही किया था। उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। किन्तु उपरोक्त शिकायत पर कर्नलगंज थाने में दलित असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रम कुमार के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए, 295ए और आईटी एक्ट की धारा-66 के तहत एफआईआर दर्ज हुई थी।
यह वही प्रोफेसर डॉ. विक्रम कुमार है जिन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आने के उपरांत एक सेमिनार में यह कहकर तहलका मचा दिया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों को उनकी जाति के आधार पर अंक दिए जाते हैं। एससी/एसटी आयोग ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जवाब मांगा था किन्तु इस मामले में वह अकेले पड़ गए। वही शिवलिंग प्रकरण में उन्हें धमकियां मिलीं तो तत्कालीन एसएसपी सिद्धार्थ अनिरुद्ध पंकज ने उन्हें सुरक्षा दी। एसएसपी के तबादले के बाद उनकी सुरक्षा हटा ली गई थी ।
प्रोफेसर डॉ. विक्रम कहते हैं कि जिस धर्म ने जानवर से भी नीचे स्थान दिया उसका समर्थन हम कैसे कर सकते हैं। डॉ अंबेडकर ने साफ-साफ कहा था कि हिंदू धर्म एक बीमारी है और जाति व वर्ण व्यवस्था मनुस्मृति जैसे धार्मिक ग्रंथों की देन है। अगर आरएसएस और बीजेपी के नेता ब्राह्मणवाद का प्रचार कर सकते हैं, तो हम क्यों भयभीत हों? यही वजह है कि हम अपने लेखों में सामाजिक और जातीय भेदभाव व छुआछूत की आलोचना करते हैं। ऊंची जातियों के लोगों को आज भी अंबेडकर की छवि और विचारधारा अंदर से बहुत कचोटती है।
डॉ. विक्रम कुमार गोरखपुर जिले के मूल निवासी हैं। इनके पिता रघुनाथ बंधुआ मजदूर थे। उस समय उनका जीवन काफी कष्टमय था। भुखमरी की स्थिति पैदा हुई तो इनके पिता रघुनाथ बंगाल चले गए बाद में उन्होंने एक कोयला खदान में काम शुरू किया। गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री लेने के बाद डॉ. विक्रम ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। दोस्तों, सहकर्मियों और वजीफे से मिली धनराशि की मदद से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी कर उन्होंने एक अखबार के फीचर विभाग में नौकरी किया फिर उन्होंने असम सेंट्रल यूनिवर्सिटी में नौकरी पाई। बाद में उन्हें शिमला स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड स्टडीज में नौकरी मिल गई। बाद में वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर बने। इलाहबाद में नौकरी के बाद से ही वह लगातार विवादों के घेरे में हैं। एक पोस्ट पर धयान दीजिए उन्होंने अपने एक्स पर लिखा था कि बहुजनवादी चेतना किसे कहते हैं?एक बार में कोर्ट में गया. कोर्टने मुझे गीता पर हाथ रखकर कसम खाने को कहा. मैने मना करते हुए कहा कि मैं भगवान नहीं मानता,फिर मैं संविधान पर हाथ रखते हुए कसमें खाई. इसे देख कोर्ट बहुत हैरान था पर वह मजबूर था इसी को बहुजनवादी या संवैधानिक चेतना कहते हैं।
अपने सोसल मीडिया एक्स पर उन्होंने लिखा कि अमर उजाला और हिंदुस्तान में प्रकाशित मेरे बारे में। पुलिस ने बहुत जल्दी चार्ज शीट फाइल कर दिया। इशारा समझ लीजिए।
26/12/2023 को अमर उजाला और हिंदुस्तान में प्रकाशित मेरे बारे में। पुलिस ने बहुत जल्दी चार्ज शीट फाइल कर दिया। इशारा समझ लीजिए। pic.twitter.com/j5BlV3V5xJ
— Professor Dr.Vikram (@ProfDrVikram1) December 26, 2023